पूरा अध्याय पढ़ें
मेरा प्राण यहोवा के आँगनों की अभिलाषा करते-करते मूर्छित हो चला;
हे सेनाओं के यहोवा, तेरे निवास क्या ही प्रिय हैं!
हे सेनाओं के यहोवा, हे मेरे राजा, और मेरे परमेश्वर, तेरी वेदियों में गौरैया ने अपना बसेरा