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क्या ही धन्य है वह मनुष्य, जो तुझ से शक्ति पाता है,
क्या ही धन्य हैं वे, जो तेरे भवन में रहते हैं;
वे रोने की तराई में जाते हुए उसको सोतों का स्थान बनाते हैं;