भजन - Bhajan 9
भजन - Bhajan 9

भजन - Bhajan 9

न्याय के लिए भगवान की प्रशंसा

प्रसंग: प्रसंग 9 प्रसङ्गवित्ता और भगवान के अविचलित न्याय में विश्वास का अभिव्यक्ति करता है। प्रसंगवित्ता अपने शत्रुओं से बचाव के लिए भगवान की प्रशंसा करता है और सभी लोगों से उनकी महिमा और धर्मपरायणता को स्वीकार करने के लिए कहता है। प्रसंग देखता है कि भगवान के न्याय निष्पक्ष हैं और दुष्टों को अंततः उनका प्राप्त दंड मिलेगा।
1हे यहोवा परमेश्‍वर मैं अपने पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूँगा;
2मैं तेरे कारण आनन्दित और प्रफुल्लित होऊँगा,
3मेरे शत्रु पराजित होकर पीछे हटते हैं,
4तूने मेरे मुकद्दमें का न्याय मेरे पक्ष में किया है;
5तूने जाति-जाति को झिड़का और दुष्ट को नाश किया है;
6शत्रु अनन्तकाल के लिये उजड़ गए हैं;
7परन्तु यहोवा सदैव सिंहासन पर विराजमान है,
8और वह जगत का न्याय धर्म से करेगा,
9यहोवा पिसे हुओं के लिये ऊँचा गढ़ ठहरेगा,
10और तेरे नाम के जाननेवाले तुझ पर भरोसा रखेंगे,
11यहोवा जो सिय्योन में विराजमान है, उसका भजन गाओ!
12क्योंकि खून का पलटा लेनेवाला उनको स्मरण करता है;
13हे यहोवा, मुझ पर दया कर। देख, मेरे बैरी मुझ पर अत्याचार कर रहे है,
14ताकि मैं सिय्योन के फाटकों के पास तेरे सब गुणों का वर्णन करूँ,
15अन्य जातिवालों ने जो गड्ढा खोदा था, उसी में वे आप गिर पड़े;
16यहोवा ने अपने को प्रगट किया, उसने न्याय किया है;
17दुष्ट अधोलोक में लौट जाएँगे,
18क्योंकि दरिद्र लोग अनन्तकाल तक बिसरे हुए न रहेंगे,
19हे यहोवा, उठ, मनुष्य प्रबल न होने पाए!
20हे यहोवा, उनको भय दिला!