पूरा अध्याय पढ़ें
हे मेरी कबूतरी, पहाड़ की दरारों में और टीलों के कुंज में तेरा मुख मुझे देखने दे,
अंजीर पकने लगे हैं,
जो छोटी लोमड़ियाँ दाख की बारियों को बिगाड़ती हैं, उन्हें पकड़ ले,