“हे प्रभु, यदि मुझ पर तेरी अनुग्रह की दृष्टि है तो मैं विनती करता हूँ, कि अपने दास के पास से चले न जाना।
उसने आँख उठाकर दृष्टि की तो क्या देखा, कि तीन पुरुष उसके सामने खड़े हैं। जब उसने उन्हें देखा तब वह उनसे भेंट करने के लिये तम्बू के द्वार से दौड़ा, और भूमि पर गिरकर दण्डवत् की और कहने लगा,
मैं थोड़ा सा जल लाता हूँ और आप अपने पाँव धोकर इस वृक्ष के तले विश्राम करें।