उपद्रवि (Upadravi) 29:31
पुजारियों का समर्पण
उपद्रवि (Upadravi) 29:31

“फिर याजक के संस्कार का जो मेढ़ा होगा उसे लेकर उसका माँस किसी पवित्रस्थान में पकाना;
आसन्न आयतें
पिछली आयत
उपद्रवि (Upadravi) 29:30
उसके पुत्रों के जो उसके स्थान पर याजक होगा, वह जब पवित्रस्थान में सेवा टहल करने को मिलापवाले तम्बू में पहले आए, तब उन वस्त्रों को सात दिन तक पहने रहें।
अगली आयत
उपद्रवि (Upadravi) 29:32
तब हारून अपने पुत्रों समेत उस मेढ़े का माँस और टोकरी की रोटी, दोनों को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खाए।