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उस समय लोग पूर्व की ओर चलते-चलते शिनार देश में एक मैदान पाकर उसमें बस गए।
सारी पृथ्वी पर एक ही भाषा, और एक ही बोली थी।
तब वे आपस में कहने लगे, “आओ, हम ईटें बना-बनाकर भली-भाँति आग में पकाएँ।” और उन्होंने पत्थर के स्थान पर ईंट से, और मिट्टी के गारे के स्थान में चूने से काम लिया।