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तो भी वह अपनी विष्ठा के समान सदा के लिये नाश हो जाएगा;
चाहे ऐसे मनुष्य का माहात्म्य आकाश तक पहुँच जाए,
वह स्वप्न के समान लोप हो जाएगा और किसी को फिर न मिलेगा;