पूरा अध्याय पढ़ें
“यदि मेरा हृदय किसी स्त्री पर मोहित हो गया है,
तो मैं बीज बोऊँ, परन्तु दूसरा खाए;
तो मेरी स्त्री दूसरे के लिये पीसे,