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तो तू क्यों कहता है, कि वह मुझे दर्शन नहीं देता,
निश्चय परमेश्वर व्यर्थ बातें कभी नहीं सुनता,
परन्तु अभी तो उसने क्रोध करके दण्ड नहीं दिया है,