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जैसा कोई दास छाया की अभिलाषा करे, या
“क्या मनुष्य को पृथ्वी पर कठिन सेवा करनी नहीं पड़ती?
वैसा ही मैं अनर्थ के महीनों का स्वामी बनाया गया हूँ,