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मेरे दिन जुलाहे की ढरकी से अधिक फुर्ती से चलनेवाले हैं
मेरी देह कीड़ों और मिट्टी के ढेलों से ढकी हुई है;
“याद कर कि मेरा जीवन वायु ही है;