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हमारे खदेड़नेवाले आकाश के उकाबों से भी अधिक वेग से चलते थे;
लोग हमारे पीछे ऐसे पड़े कि हम अपने नगर के चौकों में भी नहीं चल सके;
यहोवा का अभिषिक्त जो हमारा प्राण था,