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विपत्ति के समय विश्वासघाती का भरोसा,
जो किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी देता है,
जैसा जाड़े के दिनों में किसी का वस्त्र उतारना या सज्जी पर सिरका डालना होता है,