
भजन - Bhajan 81
भगवान की पूजा के आमंत्रण
प्रसंग: प्रार्थना संहिता 81 इसराइल के लोगों को याद दिलाने के लिए है कि उन्हें परमेश्वर की महानता को याद रखना चाहिए और उन्हें सारे मन से पूजना चाहिए। यह प्रारंभ होता है परमेश्वर को प्रशंसा देने के प्रेरित करते हुए, जिन्होंने अपने लोगों को मिस्र के गुलामी से मुक्त किया और जिन्होंने उन्हें वो सभी आशीर्वाद दिए हैं जिनका वे आनंद उठा रहे हैं। प्रार्थना करनेवाला तब भगवान के आवाज में बोलते हैं, जो अपने लोगों से कहते हैं कि वे अपने मूर्तियों से मुड़कर केवल उसी पर भरोसा करें। भगवान वादा करते हैं कि अगर वे ऐसा करें, तो वे उन्हें अत्यधिक आशीर्वाद देंगे और उनकी हर आवश्यकता को पूरा करेंगे।
1परमेश्वर जो हमारा बल है, उसका गीत आनन्द से गाओ;
2गीत गाओ, डफ और मधुर बजनेवाली वीणा और सारंगी को ले आओ।
3नये चाँद के दिन,
4क्योंकि यह इस्राएल के लिये विधि,
5इसको उसने यूसुफ में चितौनी की रीति पर उस समय चलाया,
6“मैंने उनके कंधों पर से बोझ को उतार दिया;
7तूने संकट में पड़कर पुकारा, तब मैंने तुझे छुड़ाया;
8हे मेरी प्रजा, सुन, मैं तुझे चिता देता हूँ!
9तेरे बीच में पराया ईश्वर न हो;
10तेरा परमेश्वर यहोवा मैं हूँ,
11“परन्तु मेरी प्रजा ने मेरी न सुनी;
12इसलिए मैंने उसको उसके मन के हठ पर छोड़ दिया,
13यदि मेरी प्रजा मेरी सुने,
14तो मैं क्षण भर में उनके शत्रुओं को दबाऊँ,
15यहोवा के बैरी उसके आगे भय में दण्डवत् करे!
16मैं उनको उत्तम से उत्तम गेहूँ खिलाता,