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दास बातों ही के द्वारा सुधारा नहीं जाता,
जहाँ दर्शन की बात नहीं होती, वहाँ लोग निरंकुश हो जाते हैं,
क्या तू बातें करने में उतावली करनेवाले मनुष्य को देखता है?